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अयोध्या के सोहावल क्षेत्र में पशुओं में फैल रहे लंपी और खुरपका रोग ने पशुपालकों की चिंता बढ़ा दी है। बीते सप्ताह में आधा दर्जन मवेशियों की मौत के बाद ग्रामीणों ने पशु चिकित्सा विभाग पर समय पर टीकाकरण न करने का आरोप लगाया है। विभाग का कहना है कि बीमारी के उपचार और रोकथाम के लिए टीम सक्रिय है।
लंपी और खुरपका रोग
लंपी स्किन डिज़ीज़ (LSD) और खुरपका-मुंहपका (FMD) पशुओं में फैलने वाली संक्रामक और घातक बीमारियाँ हैं।
लंपी रोग मुख्य रूप से गाय-बैलों में पाया जाता है और वायरस के माध्यम से फैलता है। वहीं, खुरपका-मुंहपका रोग (FMD) पशुओं के खुर, मुंह और जीभ में छाले पैदा कर उन्हें कमजोर कर देता है। इलाज में देरी पशु की मौत का बड़ा कारण बनती है। भारत में पिछले 3 वर्षों में लंपी रोग की वजह से हजारों पशुओं की मौतें दर्ज की गई थीं।
- स्थान: सोहावल क्षेत्र, अयोध्या
- समय: पिछले एक सप्ताह में
- नुकसान: लगभग 6 पशुओं की मौत
स्थानीय पशुपालकों के अनुसार, मरने वाले पशुओं में —
- कमलेश सिंह की बछिया
- केशव राम की बछिया
- सुरेंद्र गोस्वामी की गाय
- शिव कुमार सोनी की बछिया
सहित कुल छह पशुओं की मौत की पुष्टि ग्रामीणों ने की है।
पशु मालिकों का कहना है कि टीकाकरण समय पर होता तो मौतें रोकी जा सकती थीं।
यदि पशु चिकित्सा विभाग समय से खुरपका और अन्य रोगों के टीके लगा देता, तो आज हमारे पशु जिंदा होते।”
सोहावल पशु चिकित्सा प्रभारी मनोज कुमार वर्मा और डॉ. नीरज गुप्ता ने बताया:
“यह वायरस जनित बीमारी है। जानकारी मिलते ही उपचार शुरू कर दिया गया है। पशु पालकों को संक्रमण से बचाव की सलाह दी जा रही है।”
उन्होंने यह भी बताया कि टीम इलाके में जाकर गंभीर रूप से प्रभावित पशुओं का उपचार कर रही है।
ग्रामीण और पशुपालकों में दहशत
- गाय-बैलों की मौत से किसानों की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर पड़ा है।
- पशुपालक दुग्ध उत्पादन में कमी होने की आशंका जता रहे हैं।
- पशु बाजारों और डेयरी कारोबार पर प्रभाव संभावित है।
- कुछ गांवों में मवेशी मालिकों ने दूध और डेयरी उत्पादों को लेकर सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है।
- पशुपालकों का कहना है कि यदि संक्रमण इसी तरह फैलता रहा तो और नुकसान हो सकता है।
2022 में उत्तर प्रदेश के कई जिलों में लंपी रोग फैला था, जिसमें हजारों पशु संक्रमित हुए थे और बड़ी संख्या में मौतें भी दर्ज की गई थीं। उस समय विभाग ने बड़े स्तर पर टीकाकरण अभियान चलाया था, लेकिन इस बार ग्रामीणों का आरोप है कि सावधानी और तैयारी में कमी रही। पशु स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, लंपी और खुरपका रोग रोकने में टीकाकरण ही सबसे महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है।
इन सावधानियों से बच सकते हैं पशु
- संक्रमित पशु को अलग रखें
- पशुशाला में सफाई रखें
- मक्खी, मच्छर, कीड़ों से बचाव करें
- समय पर टीकाकरण कराएं
- पशुओं को पोषक आहार दें
लंपी और खुरपका जैसे संक्रमण ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पशुपालन पर सीधा प्रभाव डालते हैं। ऐसे में विभाग और पशुपालकों का मिलकर काम करना बेहद ज़रूरी है।
समय पर टीकाकरण, निरीक्षण और जागरूकता ही इस बीमारी को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।
ग्रामीणों से अपील है कि पशुओं में किसी भी असामान्य लक्षण पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें और अफवाहों से बचें।
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