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उत्तराखंड के अल्मोड़ा में आयोजित एक विशेष समारोह में जंगलों को आग से बचाने के लिए सक्रिय स्वयंसेवी फायर फाइटर्स को सम्मानित किया गया। वन चेतना केंद्र में हुए इस कार्यक्रम में हंस फाउंडेशन की वन अग्निशमन एवं रोकथाम परियोजना के अंतर्गत कई ग्रामीण युवाओं को प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।
उत्तराखंड में वनाग्नि की चुनौती
उत्तराखंड का पर्वतीय भूगोल हर साल गर्मियों में जंगल की आग की बड़ी चुनौती झेलता है। राज्य के कई हिस्सों में अप्रैल से जून तक सूखी घास और तेज हवाओं के कारण बार-बार आग लगने की घटनाएं होती हैं। इससे न केवल लाखों पेड़-पौधों का नुकसान होता है, बल्कि वन्यजीव, मानव बस्तियां और पर्यावरण संतुलन भी खतरे में पड़ जाता है। सरकार और स्थानीय संस्थाओं के साथ-साथ स्वयंसेवी समूह इस समस्या से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं।
वन चेतना केंद्र में हुआ सम्मान समारोह
अल्मोड़ा के वन चेतना केंद्र में हंस फाउंडेशन की पहल पर आयोजित इस कार्यक्रम में विभिन्न गांवों से आए वॉलंटियर फायर फाइटर्स को सम्मानित किया गया। उन्हें उनके साहसिक और निस्वार्थ प्रयासों के लिए प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।
समारोह में प्रभागीय वनाधिकारी (सिविल सोयम) प्रदीप धौलाखंडी और प्रभागीय वनाधिकारी दीपक सिंह ने स्वयंसेवियों के प्रयासों को सराहा। उन्होंने कहा कि ग्राम स्तर पर सामूहिक सहभागिता, जागरूकता और प्रशिक्षण से जंगलों में आग की घटनाओं को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
कार्यक्रम में उपस्थित एसडीआरएफ के पंकज डंगवाल ने स्वयंसेवियों को वनाग्नि से बचाव के उपायों और सुरक्षा तकनीकों की जानकारी दी। उन्होंने सतर्कता, प्राथमिक सुरक्षा तकनीकों और त्वरित प्रतिक्रिया की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा,
सामुदायिक जागरूकता को मिली नई दिशा
इस समारोह ने स्थानीय स्तर पर वन संरक्षण और पर्यावरण बचाव के प्रयासों को नई ऊर्जा दी। ग्रामीण स्वयंसेवियों ने साझा किया कि उनकी तत्परता और सहयोग न केवल जंगलों को बचाने में मदद कर रही है, बल्कि मानव जीवन की रक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। वक्ताओं ने कहा कि ऐसे सम्मान समारोह युवाओं को प्रेरित करते हैं और उन्हें वन संरक्षण जैसे कार्यों से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
पुरानी घटनाओं से सबक
पिछले वर्षों में उत्तराखंड के कई जिलों में आग की बड़ी घटनाएं दर्ज की गईं, जिनसे हजारों हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ। 2022 में अकेले अल्मोड़ा जिले में हेक्टेयर जंगल जलने की रिपोर्ट दर्ज की गई थी। इस तरह की आपदाओं ने सरकार और स्थानीय संगठनों को सामुदायिक भागीदारी को और मजबूत बनाने की आवश्यकता का एहसास कराया है।
अल्मोड़ा का यह सम्मान समारोह इस बात का उदाहरण है कि सामूहिक प्रयासों से बड़ी प्राकृतिक चुनौतियों का समाधान संभव है। वनाग्नि रोकथाम में वॉलंटियर फायर फाइटर्स की भूमिका न केवल जंगलों को बचाने में बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रखने में अहम है। विशेषज्ञों का मानना है कि निरंतर प्रशिक्षण, उपकरणों की उपलब्धता और सामुदायिक सहयोग से राज्य में आग की घटनाओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
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