नरोजपुर गांव में बरसाती नाले के पास भीगी सड़क और बच्चे के जूते, पास में खड़ी पुलिस और रोते परिजन।

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लक्सर, उत्तराखंड | 07 अगस्त 2025

बारिश के मौसम में अक्सर लापरवाही जानलेवा साबित हो जाती है। लक्सर तहसील के नरोजपुर गांव से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है जहाँ सात वर्षीय कामरान खान की बरसाती नाले में डूबकर दर्दनाक मौत हो गई

यह हादसा न केवल एक परिवार को उजाड़ गया बल्कि पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो गया। घटनास्थल पर पहुंची पुलिस ने जानकारी ली, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

कैसे हुआ हादसा?

गुरुवार सुबह करीब 11 बजे का वक्त था। नरोजपुर निवासी इकराम खान का बेटा कामरान खान, जो कि दो बहनों के बाद इकलौता पुत्र था, घर के पास सड़क पर खेल रहा था। सड़क के पास ही एक बरसाती नाला तेज बहाव में उफान पर था, जो सामान्यतः सूखा रहता है, लेकिन हाल ही की भारी बारिश ने इसे जानलेवा बना दिया। खेलते हुए अचानक कामरान नाले में जा गिरा। चूंकि वह छोटा था और बहाव तेज था, इसलिए वह जल्दी ही उसमें समा गया।

परिजनों की बेबसी और दर्द

कामरान के लापता होते ही परिवार में खलबली मच गई। मां और बहनें चीखने लगीं, पिता इकराम खान ने आस-पास के लोगों की मदद से उसकी तलाश शुरू की। कुछ ही देर में नाले में अचेत पड़ा कामरान दिखाई दिया। उसे फौरन नजदीकी प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया

“हमने सोचा, शायद पानी से बाहर निकाल लेंगे तो ठीक हो जाएगा, लेकिन वो सांसें छोड़ चुका था,” इकराम खान की यह टूटती आवाज पूरे अस्पताल में गूंज रही थी।

गांव में पसरा सन्नाटा, परिजनों में कोहराम

कामरान की मौत की खबर जैसे ही गांव में फैली, गांव के लोग उसके घर की ओर दौड़ पड़े। गांव की गलियों में सिर्फ रोने और चीखने की आवाजें गूंज रही थीं। कामरान पढ़ाई में होशियार और व्यवहार में विनम्र था। पड़ोसी बताते हैं कि वो हर किसी का लाडला था। कोई नहीं सोच सकता था कि ऐसी छोटी सी लापरवाही इतनी भारी कीमत वसूल लेगी।

SSP और प्रशासन को सतर्क रहने की जरूरत

लक्सर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर घटना की जानकारी ली, लेकिन यह स्पष्ट है कि बरसाती नाले खुले छोड़ देना एक गंभीर प्रशासनिक चूक है

यह हादसा कई सवाल खड़े करता है:

  • क्या बरसात के मौसम में ऐसे नालों की निगरानी नहीं होनी चाहिए?
  • क्या प्रशासन को पहले से गांवों को सतर्क नहीं करना चाहिए?
  • बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूल और समाज दोनों को आगे क्यों नहीं आना चाहिए?

बरसात बनी काल – कब सुधरेगा सिस्टम?

उत्तराखंड में बारिश का कहर हर साल कई मासूम जिंदगियों को निगल जाता है। सरकार और प्रशासन द्वारा समय पर कदम न उठाना एक बार फिर उजागर हो गया है। कामरान की मौत एक सीधी चेतावनी है – अगर अब भी हमने सावधानी नहीं बरती, तो अगला शिकार किसी और का बच्चा हो सकता है।

कामरान अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी यह दर्दनाक मौत हमें सोचने पर मजबूर करती है। क्या हम अपने बच्चों के लिए सुरक्षित माहौल बना पा रहे हैं?

एक लापरवाह नाला, एक नजरअंदाज की गई सुरक्षा, और एक मासूम की जान – कीमत बहुत बड़ी थी।

अगर आपके आसपास कोई खुले नाले, उफनती नदियाँ या जलभराव वाले क्षेत्र हैं, तो बच्चों को उन इलाकों में जाने से रोकें। आपकी थोड़ी सी जागरूकता किसी परिवार का उजड़ना रोक सकती है। प्रशासन से अनुरोध है कि ऐसे सभी स्थानों पर चेतावनी बोर्ड और अस्थायी बैरिकेडिंग की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह के हादसों को टाला जा सके।

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By ATHAR

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