हरिद्वार । मोहर्रम के मौके पर हरिद्वार के ज्वालापुर क्षेत्र में शनिवार को शिया और सुन्नी मुस्लिम समुदाय ने कर्बला के शहीदों की याद में ग़म और अकीदत से भरे जुलूस निकाले। करबला के मैदान में दी गई कुर्बानियों की याद में पूरा माहौल मातम और इज़हार-ए-सोज़ से भर गया।
अंजुमन फोरा-ए-अजा की जानिब से शिया मुस्लिम समुदाय द्वारा निकाले गए मातमी जुलूस की शुरुआत इमामबाड़ा अहबाब नगर से हुई, जो कि हैदर नकवी के निवास पर जाकर खत्म हुआ। वहीं सुन्नी मुस्लिम समुदाय ने ताजियों और अखाड़ों के माध्यम से कर्बला के बहादुरों को ख़िराज़-ए-अकीदत पेश किया।
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मजलिस में हुआ इमाम हुसैन की कुर्बानी का ज़िक्र, अली असगर की शहादत पर उमड़ा ग़म
शिया समुदाय द्वारा आयोजित मजलिस में मौलाना इक्तेदार नकवी ने कर्बला के ऐतिहासिक घटनाक्रम पर रोशनी डालते हुए कहा कि इमाम हुसैन ने जब हज को उमरा में बदलकर मक्का से कूच किया, तो वे 2 मोहर्रम को कर्बला पहुंचे। वहां यज़ीदी फौज ने उन्हें घेर लिया और 10 मोहर्रम 61 हिजरी को उन्हें, उनके परिवार और साथियों को भूखा-प्यासा शहीद कर दिया गया।

मजलिस में छह माह के मासूम अली असगर की शहादत का जिक्र होते ही माहौल ग़मगीन हो गया। मौलाना ने बताया कि जब इमाम हुसैन पानी के लिए अली असगर को लेकर यज़ीद की फौज के सामने गए, तो यज़ीदी सैनिक हुरमला ने तीर चलाकर मासूम अली असगर को शहीद कर दिया।
हाथों और जंजीरों से मातम, नारों से गूंजा वातावरण

मजलिस के बाद हाथ और जंजीरों से मातम करते हुए श्रद्धालुओं ने कर्बला के शहीदों को याद किया। जुलूस के दौरान श्रद्धालु “या हुसैन”, “हुसैनियत ज़िंदा है”, “लब्बैक या हुसैन” जैसे नारों के साथ धार्मिक जोश और श्रद्धा से भरपूर दिखे। जुलूस का समापन हजरत हैदर नकवी के निवास स्थान पर हुआ, जहां विशेष दुआ की गई।
सुन्नी समुदाय ने निकाले ताजिए, दिखाए कर्बला के बहादुरी के दृश्य
इसी दौरान सुन्नी समुदाय के लोगों ने भी ताज़ियों का जुलूस निकालते हुए कर्बला की जंग में हुए बलिदानों को श्रद्धा के साथ याद किया। ज्वालापुर के अगवाब नगर, मैदानयान, और इत्यादि इलाकों में ताजियों के साथ अखाड़ों में तलवारबाज़ी और लाठी के दांव दिखाए गए। युवाओं ने बहादुरी और वीरता के प्रदर्शन के माध्यम से कर्बला की शौर्यगाथा को जीवंत किया।
शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन रहा सतर्क
जुलूस और मजलिस के दौरान पुलिस प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। हरिद्वार पुलिस द्वारा सुरक्षा व्यवस्था के तहत पूरे क्षेत्र में तैनाती की गई थी। ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी और अन्य पुलिस अधिकारी लगातार गश्त और निगरानी करते नजर आए। सभी धार्मिक आयोजनों के दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं घटी और पूरा कार्यक्रम शांतिपूर्वक और सौहार्द के साथ सम्पन्न हुआ। धार्मिक संगठनों और प्रशासन की आपसी तालमेल के चलते श्रद्धालुओं को किसी तरह की असुविधा नहीं हुई।
कर्बला की शिक्षा: अन्याय के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा
कर्बला का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना सदियों पहले था। इमाम हुसैन की कुर्बानी सत्य, न्याय और धर्म के लिए खड़े होने की प्रेरणा देती है। हर साल मोहर्रम में मनाया जाने वाला यह पर्व हमें यह सिखाता है कि अत्याचार के सामने झुकना नहीं, बल्कि सच की राह पर अडिग रहना ही सच्ची इंसानियत है।
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