"हरिद्वार में कांग्रेस नेताओं द्वारा मदरसों की सीलिंग के विरोध में डीएम को सौंपे गए ज्ञापन की तस्वीर।"डीएम को सौंपे गए ज्ञापन की तस्वीर

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हरिद्वार। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी (DM) को ज्ञापन सौंपा और मदरसों की सीलिंग की कार्रवाई पर तत्काल रोक लगाने की मांग की।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मदरसों को सील करना संविधान के अनुच्छेद 26 और 30 के तहत धार्मिक और शैक्षणिक अधिकारों का उल्लंघन है।

मदरसों की सीलिंग पर क्यों हो रहा विरोध?

कांग्रेस नेताओं ने डीएम को सौंपे गए ज्ञापन में कहा कि मदरसों में इस्लाम की तालीम दी जाती है, जो संविधान द्वारा संरक्षित है। इसके बावजूद राज्य सरकार द्वारा मदरसों को बिना किसी पूर्व सूचना के सील किया जा रहा है, जिससे जनता में नाराजगी बढ़ रही है।

प्रमुख बिंदु:

✅ संविधानिक अधिकारों का उल्लंघन: मदरसों की सीलिंग संविधान के अनुच्छेद 26 और 30 के तहत धार्मिक और शैक्षणिक अधिकारों के खिलाफ है।

✅ अनुमति का लंबित मामला: कई मदरसा संचालकों ने वर्षों पहले अनुमति और पंजीकरण के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया।

✅ बिना अनुमति सीलिंग अनुचित: बिना किसी आधिकारिक अनुमति दिए ही मदरसों को सील करने की कार्रवाई की जा रही है, जो न्यायसंगत नहीं है।

✅ लोगों में बढ़ता असंतोष: इस कार्रवाई से समाज में असंतोष और तनाव की स्थिति उत्पन्न हो रही है।

कांग्रेस नेताओं की सरकार से मांग

प्रतिनिधिमंडल ने मांग की कि मदरसों की सीलिंग पर तुरंत रोक लगाई जाए और संबंधित पक्षों को सुनवाई का अवसर दिया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को इस मुद्दे पर संविधान के दायरे में रहकर निर्णय लेना चाहिए, ताकि किसी समुदाय के अधिकारों का हनन न हो।

ज्ञापन सौंपने वालों में ये लोग रहे शामिल

इस मौके पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष राजीव चौधरी के साथ कई गणमान्य नेता और समाजसेवी मौजूद थे। इनमें प्रमुख रूप से शामिल थे:पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष राव आफाक अलीराव हाजिद अलीपूनम भगत सुनील चौहान चौधरी गुलसनन्वर शादाब कुरैशी मौलाना आरिफ नई कुरेशी हाजी इरफान शाहनबाज अलीराव फरमान अली नरेश कुमार दिलशाद सलीम राजेंद्र श्रीवास्तव अरशद ख्वाजा

जनता की राय: क्या सरकार को मदरसों की सीलिंग पर रोक लगानी चाहिए?

इस मुद्दे पर जनता की अलग-अलग राय सामने आ रही है। कुछ लोगों का कहना है कि अगर कोई मदरसा अवैध रूप से संचालित हो रहा है, तो उसे उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत देखा जाना चाहिए, जबकि कुछ लोग इस कार्रवाई को धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बता रहे हैं।

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By Aman

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