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अहमदपुर, हरिद्वार: ग्राम सराय बख्तपुर स्थित मदरसा तनवीरूल कुरान के वार्षिक जलसे का आयोजन बिलाल मस्जिद में किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के साथ-साथ गैर-मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हुए। इस कार्यक्रम ने आपसी सौहार्द और भाईचारे का संदेश दिया।
हिफ्ज़-ए-कुरान सबसे बड़ी नेमत

इस मौके पर मुफ्ती उस्मान साहब (दारुल उलूम, देवबंद) ने कहा कि हिफ्ज़-ए-कुरान (कुरान को याद करना) दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है। उन्होंने कहा कि कुरान एक ऐसी किताब है, जो पूरी दुनिया को ज्ञान और इंसानियत का मार्ग दिखाने वाली है। इसके पाठक और इसे सिखाने वाले दोनों ही खुशनसीब होते हैं।
मदरसे शिक्षा और भाईचारे के केंद्र

कार्यक्रम में मौलाना मोहम्मद अब्दुल्ला (मुबलिग, दारुल उलूम, देवबंद) ने कहा कि मदरसे केवल धार्मिक शिक्षा के केंद्र नहीं हैं, बल्कि यहां प्यार, भाईचारे और देशभक्ति की तालीम भी दी जाती है। उन्होंने कहा कि जंग-ए-आजादी में भी मदरसों की अहम भूमिका रही है, जहां से निकले शिक्षार्थियों ने देश की आजादी के लिए अपना योगदान दिया।
इस्लाम अमन और इंसानियत का पैगाम देता है
मौलाना अब्दुल्ला ने कहा कि इस्लाम में किसी तरह का भेदभाव नहीं है और यह हमेशा आपसी भाईचारे और एकता का समर्थन करता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि धर्म का उद्देश्य समाज में एकता और शांति स्थापित करना है।
बच्चों की शानदार प्रस्तुति
जलसे के दौरान कारी मोहम्मद इकराम साहब की सरपरस्ती में मदरसे के छात्रों ने हम्द, नात और तकरीर पेश की, जिसने उपस्थित लोगों को भावविभोर कर दिया। इस मौके पर कई छात्रों की दस्तारबंदी (सम्मान समारोह) भी की गई, जिससे उनका उत्साह बढ़ा।
इस आयोजन ने धार्मिक और सामाजिक एकता का एक शानदार उदाहरण पेश किया और यह संदेश दिया कि शिक्षा और भाईचारे से ही समाज आगे बढ़ सकता है।
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