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सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स (पूर्व में ट्विटर) और यूट्यूब पर प्लाटिंग, ले-आउट पास कराने और फ्लैट की बिक्री को लेकर भ्रामक और झूठी जानकारी फैलाने वालों के खिलाफ मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) ने सख्त कदम उठाने की तैयारी कर ली है। शुक्रवार को प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित कर इस संदर्भ में एक छह सदस्यीय टीम का गठन किया है।
सोशल मीडिया पर बढ़ती भ्रामक गतिविधियां
आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया का प्रभाव व्यापक हो चुका है। बड़ी संख्या में लोग विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर सक्रिय हैं। इसका फायदा उठाकर कुछ असामाजिक तत्व गलत और भ्रामक जानकारी फैलाने में जुटे रहते हैं। ये तत्व लुभावने विज्ञापनों और प्रस्तावों के जरिए आम जनता को धोखा देकर ठगी का शिकार बना रहे हैं।

इस गंभीर समस्या को देखते हुए एमडीडीए ने ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है। अब भ्रामक जानकारी फैलाने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
छह सदस्यीय टीम का गठन

प्राधिकरण उपाध्यक्ष बंशीधर तिवारी ने सोशल मीडिया पर निगरानी रखने और भ्रामक जानकारी को नियंत्रित करने के लिए छह सदस्यीय टीम का गठन किया है। इस टीम में शामिल सदस्य और उनकी भूमिकाएं इस प्रकार हैं:
1. सुधीर कुमार गुप्ता – सहायक अभियंता
2. एकता अरोड़ा – अनुसचिव
3. प्रवेश नौटियाल – अवर अभियंता
4. नैंसी शर्मा – अवर अभियंता
5. कलम सिंह बिष्ट – सहायक लिपिक
6. नीरज सेमवाल – प्रोग्रामर
टीम की जिम्मेदारियां

टीम को निम्नलिखित जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं:
भ्रामक जानकारी की पहचान: विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पोस्ट की गई भ्रामक जानकारियों और लुभावने विज्ञापनों को ट्रैक करना।
साप्ताहिक रिपोर्ट: भ्रामक जानकारी फैलाने वालों की पहचान कर उनकी साप्ताहिक रिपोर्ट प्राधिकरण को प्रस्तुत करना।
सही जानकारी का प्रचार: प्राधिकरण द्वारा किए जा रहे ध्वस्तीकरण, सीलिंग और अन्य कार्यवाहियों की जानकारी नियमित रूप से प्राधिकरण की वेबसाइट और सोशल मीडिया पेजों पर पोस्ट करना।
जनता को जागरूक करना: सोशल मीडिया के जरिए आम जनता को सही और प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध कराना।
भविष्य की योजनाएं
उपाध्यक्ष तिवारी ने कहा कि प्राधिकरण की यह पहल जनता को ठगी से बचाने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।
सोशल मीडिया पर सक्रिय टीम के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि भ्रामक प्रचार-प्रसार पर अंकुश लगाया जाए और केवल सही जानकारी जनता तक पहुंचे।प्राधिकरण का यह कदम सोशल मीडिया पर बढ़ती असामाजिक गतिविधियों को नियंत्रित करने और डिजिटल माध्यमों के दुरुपयोग को रोकने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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