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जौनपुर में समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और प्रखर समाजवादी नेता लोकबंधु राजनारायण की जयंती श्रद्धापूर्वक मनाई। जिला कार्यालय अल्फस्टीनगंज में आयोजित कार्यक्रम में उनके संघर्षपूर्ण जीवन और लोकतंत्र की रक्षा में निभाई गई भूमिका को याद किया गया।
लोकबंधु राजनारायण भारत के लोकतंत्र के अपरिहार्य प्रहर
लोकबंधु राजनारायण का जन्म 23 नवंबर 1917 को वाराणसी के मोतीकोट गांव में एक समृद्ध भूमिहार परिवार में हुआ था। उनका असली नाम अनंत प्रसाद सिंह था। वे बनारस रियासत के शासक परिवार से जुड़े थे—महाराजा चेत सिंह और महाराजा बलवंत सिंह के राजवंश से उनका सीधा संबंध था।
धन-वैभव में पले होने के बावजूद राजनारायण का स्वभाव विद्रोही, जनवादी और फक्कड़ था। उन्होंने युवावस्था से ही अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष का रास्ता चुना।
- छात्र संघ अध्यक्ष रहते हुए आंदोलन की शुरुआत
- ब्रिटिश सरकार के खिलाफ 700 से अधिक आंदोलनों का नेतृत्व
- 80 बार जेल यात्रा
- उन पर अंग्रेजी शासन ने ₹5000 का इनाम रखा था
- स्वतंत्रता संग्राम के बाद भी जनता के अधिकारों के लिए संघर्षरत रहे
डॉ. राम मनोहर लोहिया ने उनके बारे में कहा था:
देश और लोकतंत्र राजनारायण के रहते कभी कमजोर नहीं होगा।”
जौनपुर में जयंती समारोह
स्थान: समाजवादी पार्टी जिला कार्यालय, सदर चुंगी अल्फस्टीनगंज, जौनपुर
तिथि: 23 नवंबर
उद्देश्य: लोकबंधु राजनारायण की जयंती का आयोजन
कार्यक्रम की शुरुआत उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देने से की गई। उनकी जयंती कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला उपाध्यक्ष श्याम बहादुर पाल ने की।b इसके बाद उपस्थित नेताओं ने उनके जनसंघर्ष, साधारण जनता के लिए उठाए गए कदम और भारत के गौरवशाली लोकतांत्रिक इतिहास में निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को याद किया।
कार्यक्रम में संबोधित करते हुए
जिला उपाध्यक्ष श्याम बहादुर पाल ने कहा:
“राजनारायण जी ने शासक वर्ग से होने के बावजूद हमेशा जनता के हकों के लिए लड़ाई लड़ी। उनका जीवन प्रेरणा है कि सत्ता अन्याय करे तो संघर्ष अनिवार्य है।”
अन्य वक्ताओं —
- राहुल त्रिपाठी
- संतोष मौर्य मुन्ना
- धर्मेंद्र सोनकर
- ताज मोहम्मद
- प्रदीप अग्रहरि
ने भी उनके संघर्षों को याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। कार्यक्रम का संचालन जिला महासचिव आरिफ हबीब ने किया।
जबकि गुलाब यादव, कमालुद्दीन अंसारी, जिलानी खान, अमजद अंसारी सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
लोकबंधु देश में लोकतांत्रिक आंदोलन के सबसे विश्वसनीय नेताओं में गिने जाते हैं।
- 1975-77 की इमरजेंसी के दौरान उनका संघर्ष ऐतिहासिक रहा
- पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के खिलाफ उनका चुनाव और जीत विश्व राजनीति का अनोखा अध्याय बना
- चुनाव रद्द करवाकर उन्होंने साबित किया कि लोकतंत्र में कानून सबके लिए बराबर है
- आज भी राजनीतिक और सामाजिक चेतना में उनका प्रभाव जीवित है।
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि—
जिस दिन जनता अन्याय के खिलाफ खड़ी हो जाती है, उस दिन सत्ता को झुकना ही पड़ता है
| क्षेत्र | राजनारायण का योगदान |
|---|---|
| स्वतंत्रता संग्राम | सक्रिय भूमिका, 700 आंदोलन |
| आपातकाल विरोध | मुख्य नेतृत्व |
| लोकतांत्रिक न्याय | इंदिरा गांधी के चुनाव को अदालत में चुनौती |
| जनहित | किसानों, श्रमिकों और वंचितों की आवाज |
यदि अधिक सांख्यिकीय जानकारी उपलब्ध कराई जाए] इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने यह भी कहा कि आज की राजनीति में नैतिकता और संघर्ष की जो कमी दिख रही है, उसे पूरा करने की प्रेरणा लोकबंधु के जीवन से मिल सकती है।
लोकबंधु राजनारायण का जीवन बताता है कि संघर्ष ही महानता की कुंजी है। सत्ता चाहे कितनी भी मजबूत हो, जनता के अधिकारों से बड़ी नहीं हो सकती। कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं को प्रेरित करना और लोकतंत्र की रक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करना रहा।
उनकी जयंती हम सभी को यह संदेश देती है —
“अन्याय के खिलाफ आवाज उठाओ, सच के साथ खड़े रहो।”
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