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रिपोर्टर (सचिन शर्मा)
हरिद्वार में जिला बाल संरक्षण समिति के तहत खुला आश्रय गृह कनखल का मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) डॉ. ललित नारायण मिश्रा ने निरीक्षण किया।
इस दौरान उन्होंने संस्थान में रह रहे बच्चों से संवाद किया, उनके सपनों के बारे में जाना और अधिकारियों को बच्चों की बेहतर शिक्षा, सुरक्षा और पुनर्वास के लिए आवश्यक निर्देश दिए।
बाल संरक्षण समिति द्वारा संचालित यह खुला आश्रय गृह हरिद्वार जिले में उन बच्चों के लिए संचालित है जो बाल श्रम, भिक्षावृत्ति या परित्यक्त अवस्था से गुजर चुके हैं।
इस संस्थान का उद्देश्य ऐसे बच्चों को सुरक्षित वातावरण, शिक्षा, और सामाजिक पुनर्वास की दिशा में अग्रसर करना है। भारत सरकार और राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जारी निर्देशों के तहत हर जिले में ऐसे केंद्रों का नियमित निरीक्षण किया जाता है, ताकि बच्चों के अधिकारों का पूर्ण संरक्षण हो सके।

निरीक्षण के दौरान संस्थान में सभी कर्मचारी और 22 बच्चे उपस्थित मिले।
जिला प्रोबेशन अधिकारी (DPO) अविनाश भदौरिया ने सीडीओ को बताया कि केंद्र में बच्चों को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ-साथ मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं।
बच्चों को भिक्षावृत्ति और बाल श्रम जैसी सामाजिक कुप्रथाओं से दूर रखकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस अवसर पर बच्चों ने “चिड़िया उड़ी” कविता का पाठ किया, जिसे सीडीओ सहित सभी उपस्थित अतिथियों ने सराहा। डॉ. मिश्रा ने बच्चों को उनके भविष्य की योजनाओं, करियर विकल्पों और आत्मविश्वास बढ़ाने पर एक प्रेरक व्याख्यान भी दिया।
मुख्य विकास अधिकारी डॉ. ललित नारायण मिश्रा ने कहा —
इन बच्चों का भविष्य हमारी प्राथमिकता है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन्हें न केवल शिक्षा मिले, बल्कि ये समाज में आत्मविश्वास से आगे बढ़ें।
उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि बच्चों के लिए बेहतर खानपान सुनिश्चित किया जाए और भोजन रोस्टर के अनुसार ही दिया जाए।
इस निरीक्षण के बाद आश्रय गृह के प्रबंधन में सुधार की उम्मीद बढ़ी है।
सीडीओ द्वारा बच्चों के बनाए गए क्राफ्ट आइटमों की बिक्री ‘सरस बाजार’ में कराने और उन्हें मान्यता दिलाने का सुझाव स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है।
इससे न केवल बच्चों में आत्मनिर्भरता की भावना बढ़ेगी बल्कि समाज में बाल संरक्षण संस्थानों की सकारात्मक छवि भी मजबूत होगी।
राष्ट्रीय बाल संरक्षण नीति 2021 के अनुसार, देशभर में 700 से अधिक बाल देखरेख संस्थान सक्रिय हैं, जिनमें लगभग 65,000 से अधिक बच्चे सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
उत्तराखंड में बाल कल्याण विभाग द्वारा 10 से अधिक ऐसे केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जिनका उद्देश्य परित्यक्त या जोखिमग्रस्त बच्चों को नया जीवन देना है।
निरीक्षण में दिए गए प्रमुख निर्देश
- बच्चों के खानपान की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए।
- भोजन रोस्टर के अनुसार परोसा जाए।
- बच्चों के बनाए क्राफ्ट आइटमों की सरस बाजार में बिक्री कराई जाए।
- बच्चों के लिए अच्छे शैक्षणिक एवं मनोरंजक साधन उपलब्ध कराए जाएँ।
- नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य और प्रेरक सत्र आयोजित किए जाएँ।
हरिद्वार के खुला आश्रय गृह कनखल में सीडीओ डॉ. ललित नारायण मिश्रा का निरीक्षण बाल सुरक्षा के प्रति प्रशासन की सक्रियता और संवेदनशीलता को दर्शाता है।
यह कदम न केवल बच्चों के वर्तमान को सुधारने की दिशा में है, बल्कि उनके भविष्य को उज्ज्वल बनाने का भी एक मजबूत प्रयास है। यदि ऐसे निरीक्षण नियमित रूप से जारी रहे, तो निश्चित रूप से समाज में बाल संरक्षण की जड़ें और गहरी होंगी।
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