देहरादून जिले के साहिया क्षेत्र में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) की शाखा में सोमवार सुबह कर्मचारियों के देर से आने पर ग्राहकों का धैर्य टूट गया। बैंक के बाहर सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन करते हुए बैंक प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया।
साहिया क्षेत्र में पीएनबी की अहम भूमिका
साहिया क्षेत्र में पंजाब नेशनल बैंक पहली बैंक शाखा के रूप में स्थापित हुई थी। वर्षों से यह बैंक आसपास के गांवों, कस्बों और व्यापारियों के लिए मुख्य वित्तीय केंद्र बना हुआ है। अधिकांश स्थानीय लोगों के खाते इसी शाखा में हैं, जिससे बैंक में रोजाना भारी भीड़ रहती है।
सोमवार को दो दिन की छुट्टी के बाद जब बैंक खुला, तो बड़ी संख्या में ग्राहक अपने काम निपटाने पहुंचे। लेकिन कर्मचारी समय पर नहीं पहुंचे, जिससे स्थिति बिगड़ गई।
सोमवार सुबह करीब 10 बजे बैंक खुलते ही ग्राहकों की कतारें लग गईं। खाते से पैसे निकालने, जमा करने और लोन संबंधी कार्यों के लिए लोग सुबह से बैंक के बाहर इंतज़ार कर रहे थे।
लेकिन दोपहर 12 बजे तक स्टाफ नहीं पहुंचा, जिससे भीड़ में आक्रोश फैल गया।
गुस्साए ग्राहकों ने बैंक के बाहर जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। स्थिति तब शांत हुई जब करीब साढ़े 12 बजे बैंक कर्मचारी पहुंचे और कामकाज शुरू किया।
ग्राहकों का कहना था कि बैंक कर्मचारी अक्सर देर से आते हैं, जिससे उन्हें घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है।
प्रदर्शनकारियों में वीरेंद्र सिंह, दिवान सिंह तोमर, संजय शर्मा, राजेंद्र राय, कुंदन सिंह, सुरेंद्र सिंह, गोपालदास, गुमान सिंह, केशर सिंह, कुंवर सिंह, सीना सिंह, जमनी देवी, सुनीता देवी, राधा देवी, बीना देवी, प्रमिला देवी समेत दर्जनों ग्रामीण मौजूद थे।
अधिकारिक बयान
बैंक प्रबंधन की ओर से इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
हालांकि सूत्रों के अनुसार, “” ने बताया कि “” कारणवश कर्मचारी देर से पहुंचे थे और ग्राहकों की असुविधा के लिए खेद व्यक्त किया गया है।
जनता और कारोबार पर असर
ग्रामीण इलाकों में बैंक सेवाएँ लोगों की आर्थिक गतिविधियों की रीढ़ हैं। साहिया जैसे क्षेत्रों में जहां अन्य बैंकों की शाखाएँ सीमित हैं, वहाँ पीएनबी की सेवाएँ अत्यंत आवश्यक हैं।
कर्मचारियों की देर से उपस्थिति के कारण कई किसानों, मजदूरों और व्यापारियों के लेनदेन प्रभावित हुए।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि बैंक के बार-बार लेट खुलने से उन्हें काम छोड़कर बैंक आना पड़ता है, जिससे आर्थिक नुकसान भी होता है।
पुरानी घटनाओं से तुलना
यह पहली बार नहीं है जब किसी सरकारी या अर्धसरकारी बैंक शाखा में कर्मचारियों की देरी को लेकर हंगामा हुआ हो।
पिछले साल भी उत्तराखंड के कई ग्रामीण क्षेत्रों में इसी तरह की शिकायतें सामने आई थीं।
RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बैंकों को निर्धारित समय पर खोलना अनिवार्य है और ग्राहकों की सेवा में देरी को अनुशासनहीनता माना जाता है।
व्यवस्था सुधार की ज़रूरत
साहिया पीएनबी शाखा की यह घटना ग्रामीण बैंकिंग व्यवस्था की कमजोरियों की ओर इशारा करती है।
अगर समयपालन और सेवा गुणवत्ता में सुधार नहीं किया गया, तो ग्रामीण ग्राहकों का बैंकिंग तंत्र पर भरोसा डगमगा सकता है।
बैंक प्रशासन को चाहिए कि वह कर्मचारियों की उपस्थिति और सेवा समय की नियमित मॉनिटरिंग करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न दोहराई जाएँ।
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