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बिंदुखत्ता की ऐतिहासिक मांग
बिंदुखत्ता क्षेत्र नैनीताल जिले के अंतर्गत आता है, जो लंबे समय से “राजस्व ग्राम” की मान्यता पाने के लिए संघर्षरत है। यह इलाका वन भूमि पर बसा हुआ है, जिसके चलते यहां के हजारों परिवार आज भी भूमि अधिकार, बिजली-पानी, सड़क और अन्य मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
स्थानीय लोग वर्षों से सरकारों से यह मांग करते आ रहे हैं कि बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित किया जाए ताकि वे अन्य ग्राम पंचायतों की तरह सभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकें।
मुख्यमंत्री को सौंपा गया ज्ञापन
गुरुवार को जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी रामनगर पहुंचे, तो वन अधिकार समिति बिंदुखत्ता के प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा।
समिति के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी, सचिव भुवन भट्ट, पूर्व ब्लॉक प्रमुख संध्या डालाकोटी, किरन डालाकोटी, बलवंत सिंह बिष्ट, कमल जोशी, प्रेम पाल, रज्जी बिष्ट, दिनेश बिष्ट और मोहनी मेहरा सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।
प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि राज्य स्थापना की रजत जयंती से पहले बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित कर ऐतिहासिक निर्णय लिया जाए। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र 20 से अधिक वर्षों से सरकारी मान्यता के अभाव में पिछड़ा हुआ है और लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्रशासन और समिति की ओर से बयान
वन अधिकार समिति बिंदुखत्ता के अध्यक्ष अर्जुन नाथ गोस्वामी ने कहा, “राज्य गठन के बाद से बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम बनाने का वादा हर सरकार ने किया, लेकिन आज तक किसी ने इसे पूरा नहीं किया। अब जब राज्य अपनी रजत जयंती मना रहा है, तो यह कदम उठाना ऐतिहासिक होगा।”
वहीं सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने ज्ञापन प्राप्त करने के बाद आश्वासन दिया कि सरकार इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करेगी और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
जनजीवन और योजनाओं पर असर
बिंदुखत्ता को राजस्व ग्राम घोषित न किए जाने के कारण यहां के निवासियों को सरकारी योजनाओं, पेंशन, आवास योजना, रोजगार और स्वास्थ्य सुविधाओं में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
राजस्व दर्ज न होने से लोग अपने मकानों और जमीनों का मालिकाना हक साबित नहीं कर पाते, जिससे बैंक ऋण या विकास कार्यों में भी बाधा आती है।
यदि सरकार इस क्षेत्र को राजस्व ग्राम घोषित करती है, तो हजारों परिवारों को सामाजिक सुरक्षा और विकास योजनाओं का सीधा लाभ मिल सकेगा।
वर्षों से जारी आंदोलन और उम्मीदें
यह मांग कोई नई नहीं है — बिंदुखत्ता के लोगों ने 2000 में राज्य गठन के समय से यह मुद्दा उठाया था।
कई बार इस विषय पर धरने, प्रदर्शन और ज्ञापन भी दिए जा चुके हैं। 2015, 2019 और 2022 में भी इस विषय पर शासन स्तर पर चर्चाएँ हुईं, लेकिन अंतिम निर्णय नहीं लिया जा सका।
स्थानीय संगठनों का कहना है कि यदि इस बार भी निर्णय नहीं हुआ, तो आंदोलन को व्यापक बनाया जाएगा।
अब उम्मीद मुख्यमंत्री के निर्णय पर
बिंदुखत्ता की जनता की नजरें अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पर टिकी हैं।
रजत जयंती वर्ष में इस क्षेत्र को राजस्व ग्राम का दर्जा मिलना न केवल प्रशासनिक सुधार होगा, बल्कि राज्य निर्माण की भावना के अनुरूप “सबका विकास” की दिशा में एक बड़ा कदम भी साबित हो सकता है।
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