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हरिद्वार में सोमवार को स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा 2025 में कथित नकल के आरोपों की जांच के लिए न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी (सेवानिवृत्त, उत्तराखंड उच्च न्यायालय) की अध्यक्षता में लोक सुनवाई/जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान अभ्यर्थियों, अभिभावकों और शिक्षाविदों ने अपने सुझाव और अनुभव साझा किए।
नकल प्रकरण जिसने मचाई थी हलचल
साल 2025 में आयोजित स्नातक स्तरीय प्रतियोगिता परीक्षा में कथित नकल के आरोप सामने आने के बाद राज्य सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया।
जनता और छात्रों में बढ़ते असंतोष को देखते हुए सरकार ने परीक्षा को निरस्त कर दिया और मामले की जांच के लिए एकल सदस्यीय जांच आयोग गठित किया।
इस आयोग की अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी कर रहे हैं, जो अब प्रदेशभर में लोक सुनवाई और जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित कर जनसाक्ष्य एकत्र कर रहे हैं।
छात्रों और शिक्षकों ने रखे विचार
हरिद्वार स्थित एचआरडीए सभागार में सोमवार को आयोजित इस लोक जनसंवाद कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, अभ्यर्थी, कोचिंग सेंटर संचालक और कॉलेजों के प्रधानाचार्य उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में सभी प्रतिभागियों को नकल प्रकरण से जुड़ी अपनी बात, अनुभव या साक्ष्य रखने का अवसर दिया गया।
“यदि किसी व्यक्ति, छात्र या अभिभावक के पास परीक्षा से जुड़ा कोई प्रमाण, जानकारी या साक्ष्य है, तो वह आयोग के समक्ष प्रस्तुत कर सकता है,” — न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी
न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी का बयान: ‘सच्चाई उजागर करना उद्देश्य’
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यायमूर्ति ध्यानी ने कहा कि यह जनसुनवाई किसी को दोषी ठहराने के लिए नहीं, बल्कि सत्य को सामने लाने के लिए आयोजित की जा रही है।
उन्होंने बताया कि इससे पहले हल्द्वानी, काठगोदाम और रुद्रपुर में भी इसी प्रकार की जनसुनवाइयाँ आयोजित की जा चुकी हैं।
“सरकार छात्रों के भविष्य को लेकर गंभीर है। यही कारण है कि परीक्षा निरस्त की गई और एसआईटी एवं सीबीआई दोनों स्तरों पर जांच शुरू की गई है,” — न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी
एसआईटी और सीबीआई सक्रिय
न्यायमूर्ति ध्यानी ने बताया कि इस मामले में राज्य सरकार ने विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है और साथ ही सीबीआई जांच भी स्वीकृत की गई है।
एसआईटी जल्द ही जांच को सीबीआई को सौंपेगी ताकि मामले की निष्पक्ष और गहन जांच हो सके।
उन्होंने कहा कि जनसुनवाई से प्राप्त सुझाव, शिकायतें और साक्ष्य आयोग की अंतिम जांच रिपोर्ट (Inquiry Report) का आधार बनेंगे।
सचिव बिक्रम सिंह राणा का बयान
कार्यक्रम के दौरान जांच आयोग के सचिव बिक्रम सिंह राणा ने कहा कि जनसुनवाई में दर्ज सभी सुझावों और समस्याओं का संज्ञान लिया गया है।
आयोग प्रत्येक बिंदु की विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगा।
उन्होंने कहा कि जनता की भागीदारी से यह जांच और अधिक सशक्त बनेगी।
“हर सुझाव और साक्ष्य को महत्व दिया जाएगा। जांच रिपोर्ट पारदर्शी और तथ्यपरक होगी।” — बिक्रम सिंह राणा
कार्यक्रम में प्रशासन और शिक्षा जगत की सक्रिय भागीदारी
कार्यक्रम में अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) दीपेन्द्र सिंह नेगी, प्रशासनिक अधिकारी नवीन कुमार शर्मा, देवेन्द्र जुयाल, तथा विभिन्न कॉलेजों के प्रधानाचार्य, कोचिंग सेंटर संचालक और अनेक छात्र-छात्राएँ शामिल हुए।
सभी ने जांच प्रक्रिया को पारदर्शी बनाए रखने की आवश्यकता पर जोर दिया।
इस जनसंवाद से अभ्यर्थियों को सीधे आयोग के समक्ष अपनी बात रखने का अवसर मिला, जो जांच की निष्पक्षता में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
युवाओं में उम्मीद और पारदर्शिता की मांग
हरिद्वार सहित पूरे राज्य में इस प्रकरण ने युवाओं के भविष्य को प्रभावित किया है। परीक्षा रद्द होने से लाखों छात्रों को दोबारा तैयारी करनी पड़ रही है, परंतु अब जनसुनवाई के जरिए उनमें न्याय और पारदर्शिता की नई उम्मीद जगी है।
शैक्षणिक संस्थानों और कोचिंग सेंटरों ने आयोग को अपने सुझाव दिए हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।
पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम
हरिद्वार में आयोजित यह जनसुनवाई राज्य में शैक्षणिक ईमानदारी और न्यायिक पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।
न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी के नेतृत्व में चल रही जांच से यह उम्मीद बढ़ी है कि दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य की परीक्षाओं में निष्पक्षता सुनिश्चित की जाएगी।
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