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जनपद में गौवंश संरक्षण को लेकर जिलाधिकारी के निर्देशों के तहत देर रात तक विभिन्न स्थानों पर छापेमारी की गई। इस दौरान गौशालाओं की व्यवस्थाओं की जांच की गई और गौवंश के संरक्षण को लेकर की जा रही व्यवस्थाओं का आकलन किया गया।
रुड़की क्षेत्र में गौवंश के संरक्षण के लिए पंजीकृत संस्था गौशाला सभा चावमंडी का निरीक्षण किया गया। यहां गौवंश की देखभाल के लिए कुल 16 लोग तैनात हैं, जिनमें सुपरवाइजर, गौसेवक, डॉक्टर, अकाउंटेंट, सफाई कर्मचारी और भोजन कर्मी शामिल हैं। गौशाला परिसर में दो टीन शेड और दो पक्के हॉल बनाए गए हैं, जहां गौवंश को रखा जाता है। गर्मी से राहत देने के लिए शेड में सीलिंग फैन लगाए गए हैं और सफाई की उचित व्यवस्था है। पानी की आपूर्ति के लिए दो समरसेबल पंप लगे हैं, जबकि भोजन और अन्य आवश्यक सामग्रियों को रखने के लिए पर्याप्त स्थान उपलब्ध है।
गौशाला में बिजली की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए दो महीने पहले 10 किलोवाट का सोलर प्लांट लगाया गया है। परिसर में भगवान श्रीकृष्ण का एक भव्य मंदिर भी बना है, जहां श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन के लिए आते हैं। गौशाला सभा द्वारा गोपाल होम्योपैथिक डिस्पेंसरी भी चलाई जा रही है, जहां आम लोगों को निशुल्क उपचार दिया जाता है। यहां गाय के गोबर से टिकली भी बनाई जाती है, जिसे भक्तों को पूजा के लिए निशुल्क दिया जाता है। गौशाला के पास घास लाने और गोबर के निस्तारण के लिए एक ट्रैक्टर और दो ट्रॉली हैं, जबकि भूसा रखने के लिए दो स्टोर बनाए गए हैं।
सरकार द्वारा गौशाला में पल रहे प्रत्येक गौवंश के लिए प्रतिदिन 80 रुपये की सहायता राशि दी जाती है। गौशाला सभा चावमंडी में वर्तमान में 251 गौवंश हैं, जिनमें 34 सांड शामिल हैं। इसके अलावा, संस्था की एक शाखा ग्राम पनियाला में भी स्थित है, जहां 148 गौवंशों की देखभाल की जा रही है।
राय रामपुर रायघाटी स्थित शिमला देवी को सेवा धाम ट्रस्ट की गौशाला का भी निरीक्षण किया गया। यहां 188 गायों में से 116 मौके पर मौजूद पाई गईं, जबकि बाकी पशुओं के शाम तक वापस आने की जानकारी दी गई। हालांकि, यहां आर्थिक स्थिति, इन्वेंटरी स्टेटमेंट, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और दान भूसा रजिस्टर जैसी महत्वपूर्ण दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे।
ग्राम कालूब्रांस ग्रंट में संचालित गौशाला की जांच में पाया गया कि यह चकबंदी प्रक्रिया के अंतर्गत एक गैर-आवासीय गांव है। यहां 11 गौवंशों की मृत्यु दर्ज की गई, जिनमें से केवल एक का पोस्टमार्टम किया गया था। लगभग 100 गौवंशों की टैगिंग नहीं की गई थी।
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